मुख्य बातें
योजना का नाम | लाभार्थियों को लाभ | प्रति माह सहायता राशि | परिवार की आय सीमा |
---|---|---|---|
लड़की बहन योजना | महिला लाभार्थी | ₹1,500 से ₹2,100 | ₹2.5 लाख वार्षिक से कम |
शेतकरी सम्मान निधि | किसान | ₹12,000 से ₹15,000 सालाना | – |
Ladki Bahin Yojana: महाराष्ट्र में हाल ही में हुई विधानसभा चुनावों से पहले, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक महत्वपूर्ण योजना “लड़की बहन योजना” की सहायता राशि बढ़ाने की घोषणा की। यह योजना महिलाओं को हर महीने आर्थिक सहायता देने के लिए बनाई गई है। पहले इस योजना के तहत हर महीने ₹1,500 दिए जाते थे, जो अब बढ़ाकर ₹2,100 कर दिए गए हैं।
लड़की बहन योजना का उद्देश्य
“लड़की बहन योजना” का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इसका लक्ष्य है कि गरीब परिवारों से आने वाली महिलाएं अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। इस योजना के तहत सिर्फ उन्हीं महिलाओं को लाभ दिया जाएगा, जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय ₹2.5 लाख से कम है।
महा विकास आघाड़ी की आलोचना
हालांकि, इस योजना पर विवाद भी सामने आया है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने “लड़की बहन योजना” को एक “झांसा” बताया है। उनका कहना है कि इस योजना के चलते राज्य पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और इससे विकास कार्यों में कठिनाई होगी।
पवार ने बताया कि अगर सरकार ने हर महिला को ₹3,000 प्रति माह देने का वादा पूरा किया, तो इससे हर साल ₹90,000 करोड़ का खर्च आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि बेरोजगार युवाओं को ₹4,000 प्रति माह देना भी मुश्किल होगा, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर और भार पड़ेगा।
अजित पवार के सवाल और आशंकाएं
अजित पवार ने सवाल उठाए कि राज्य की कुल आय ₹7 लाख करोड़ है, और अगर इतनी बड़ी राशि इन योजनाओं में खर्च की जाएगी, तो विकास कार्यों के लिए पैसा कैसे बचेगा? उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे हालात में कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन और अन्य सरकारी खर्चों का प्रबंधन करना मुश्किल हो सकता है।
आरबीआई का नजरिया
आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) ने भी राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर कुछ चिंताएं जताई हैं। अजित पवार ने बताया कि आरबीआई ने इन योजनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए हैं और सरकार को सलाह दी है कि वह राज्य की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखे।
शेतकरी सम्मान निधि और अन्य योजनाएं
इसके अलावा, महायुति गठबंधन ने शेतकरी सम्मान निधि योजना में सालाना सहायता राशि को ₹12,000 से बढ़ाकर ₹15,000 करने का वादा किया है। साथ ही, उन्होंने 2.5 मिलियन नई नौकरियां देने, 1 मिलियन छात्रों को ट्रेनिंग के जरिए ₹10,000 की मासिक छात्रवृत्ति देने, आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स की सैलरी बढ़ाकर ₹15,000 करने की भी बात की है।
मुख्य बिंदुओं का सारांश तालिका
विषय | विवरण |
---|---|
लड़की बहन योजना | महिलाओं के लिए प्रति माह ₹2,100 की सहायता |
शेतकरी सम्मान निधि योजना | किसानों के लिए ₹15,000 सालाना मदद |
नौकरियों का वादा | 2.5 मिलियन रोजगार के अवसर |
छात्रों के लिए सहायता | 1 मिलियन छात्रों को ट्रेनिंग के माध्यम से ₹10,000 महीना |
आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स की सैलरी | ₹15,000 प्रतिमाह |
बिजली बिल में कटौती | बिजली बिलों में 30% तक की छूट |

Ladki Bahin Yojana FAQs
प्रश्न 1: लड़की बहन योजना क्या है?
उत्तर: लड़की बहन योजना महाराष्ट्र सरकार की एक योजना है, जिसके तहत महिलाओं को आर्थिक मदद दी जाती है। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को प्रति माह ₹2,100 की राशि उनके बैंक खाते में दी जाएगी।
प्रश्न 2: इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं की सहायता करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
प्रश्न 3: महा विकास आघाड़ी ने इस योजना का विरोध क्यों किया?
उत्तर: महा विकास आघाड़ी ने इस योजना का विरोध इसलिए किया है क्योंकि उनका मानना है कि इससे राज्य के वित्तीय स्थिति पर भारी दबाव पड़ेगा और अन्य विकास कार्यों में रुकावट आ सकती है।
प्रश्न 4: आरबीआई का इस योजना पर क्या विचार है?
उत्तर: आरबीआई ने राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर अपनी चिंताओं का इजहार किया है और सरकार को सलाह दी है कि वह योजनाओं के खर्च को ध्यान में रखे।
प्रश्न 5: क्या महायुति गठबंधन ने और भी कोई योजनाएं पेश की हैं?
उत्तर: हां, महायुति गठबंधन ने किसानों के लिए शेतकरी सम्मान निधि योजना, नौकरियां देने का वादा, छात्रों के लिए सहायता, आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स की सैलरी बढ़ाने जैसी योजनाएं भी पेश की हैं।
Ladki Bahin Yojana निष्कर्ष
लड़की बहन योजना जैसे योजनाएं राज्य में महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। हालांकि, इन योजनाओं को लेकर राजनीतिक मतभेद भी हैं। राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी योजनाओं का लाभ सही तरीके से पहुंचे और इससे राज्य के विकास कार्यों पर भी असर न पड़े।
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